मणिपुर में महिला कार्यकर्ता जानबूझकर मार्गों को ब्लाक कर रही हैं और सुरक्षा बलों के अभियानों में हस्तक्षेप कर रही..

भारतीय सेना ने सोमवार शाम को ट्वीट किया कि मणिपुर में महिला कार्यकर्ता जानबूझकर मार्गों को अवरुद्ध कर रही हैं और सुरक्षा बलों के अभियानों में हस्तक्षेप कर रही हैं। इससे पहले इंफाल पूर्व के इथम गांव में सेना और महिलाओं के नेतृत्व वाली भीड़ के बीच गतिरोध के कारण सेना को वहां छिपे 12 आतंकवादियों को छोड़ना पड़ा था।

सेना ने कहा कि हिंसा प्रभावित मणिपुर में महिला कार्यकर्ता जानबूझकर मार्गों को ब्लाक कर रही हैं और सुरक्षा बलों के अभियानों में हस्तक्षेप कर रही हैं। सेना ने लोगों से पूर्वोत्तर राज्य में शांति बहाल करने में मदद करने का आग्रह किया है। सेना का यह बयान इंफाल पूर्व के इथम गांव में सेना और महिलाओं के नेतृत्व वाली भीड़ के बीच गतिरोध के दो दिन बाद आया है, जिसके कारण सेना को वहां छिपे 12 आतंकवादियों को छोड़ना पड़ा।

जानबूझकर मार्गों को अवरुद्ध कर रहीं महिलाएं

सेना की स्पीयर्स कोर ने महिलाओं के ‘अनुचित हस्तक्षेप’ को सुरक्षा बलों की समय पर प्रतिक्रिया के लिए हानिकारक बताते हुए सोमवार देर रात ट्विटर पर ऐसी कुछ घटनाओं का एक वीडियो साझा किया है। स्पीयर्स कोर ने कहा कि में महिला कार्यकर्ता जानबूझकर मार्गों को अवरुद्ध कर रही हैं और सुरक्षा बलों के ऑपरेशन में हस्तक्षेप कर रही हैं, जो जीवन और संपत्ति को बचाने के लिए गंभीर परिस्थितियों के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा समय पर प्रतिक्रिया के लिए हानिकारक है।

स्पीयर्स कोर ने कहा कि भारतीय सेना आबादी के सभी वर्गों से शांति बहाल करने के प्रयासों का समर्थन करने की अपील करती है। मणिपुर की मदद करने में हमारी सहायता करें।

भीड़ ने सेना को KYKL के 12 सदस्यों को ले जाने से रोका

सेना ने बताया कि 2015 में 6 डोगरा यूनिट पर घात लगाकर किए गए हमले सहित कई हमलों में शामिल मैती उग्रवादी समूह कांगलेई यावोल कन्ना लुप (केवाईकेएल) के 12 सदस्य गांव में छिपे हुए थे, लेकिन भीड़ ने उन्हें ले जाने से रोक दिया। बाद में, सुरक्षाकर्मी जब्त हथियार और गोला-बारूद लेकर चले गए।

मणिपुर में जातीय हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत

पूर्वोत्तर राज्य में मैती और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। मैती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद तीन मई को पहली बाद तीन मई को पहली बार झड़पें हुईं। मणिपुर की आबादी में मैती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। आदिवासी नागा और कुकी आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.