मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव की मतगणना में डिंपल यादव की बड़ी लीड, पढ़े पूरी खबर

मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव की मतगणना में डिंपल यादव ने शुरुआत से बढ़त बनाई तो डेढ़ बजे तक बीजेपी प्रत्‍याशी रघुराज सिंह शाक्‍य को काफी पीछे छोड़ते हुए 192438 वोटों से आगे हो गईं। मैनपुरी में डिंपल की भारी बढ़त से जहां सपा खेमे में उत्‍साह है वहीं रामपुर और खतौली विधानसभा उपचुनाव की मतगणना को लेकर सपा और भाजपा खेमे में नेताओं के चेहरों के रंग पल-पल बदल रहे हैं। रामपुर में सपा के आसिम रजा 6375 वोटों से आगे चल रहे हैं ताे खतौली में सपा-रालोद के उम्‍मीदवार मदन भैया 11238 वोटों से आगे चल रहे हैं। हालांकि जीत के दावे पर अभी भी दोनों पार्टियां कायम हैं। 

मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के रिजल्‍ट को शुरू से समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जा रहा है। डिंपल की भारी बढ़त की खबरों के बीच अखिलेश यादव लखनऊ से मैनपुरी के लिए रवाना हो गए हैं। सपा ने दावा किया कि मैनपुरी में इस बार पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिलेगी। पार्टी नेताओं ने प्रशासन पर सपा समर्थकों के साथ ज्‍यादती का आरोप लगाते हुए कहा है कि यदि प्रशासन ने निष्‍पक्ष भूमिका निभाई होती तो पांचों विधानसभा क्षेत्रों की पहले ही चरण से डिंपल को मिली बढ़त का अंतर और बड़ा होता। 

खतौली में कितनी कारगर रही सपा-रालोद की रणनीति
5 दिसम्‍बर को मैनपुरी लोकसभा, रामपुर और खतौली विधानसभा क्षेत्रों में वोट पड़े थे। इसमें सबसे अधिक मतदान खतौली विधानसभा में हुआ था। यहां से बीजेपी की राजकुमारी सैनी के मुकाबले में मदन भैया को उतारकर सपा-रालोद गठबंधन ने इस बार मजबूत घेराबंदी करने की कोशिश की। खतौली के समीकरणों को समझने की कोशि‍श करें तो 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के समय खतौली कस्‍बे का जिक्र अक्‍सर सुनाई देता था। यह कस्‍बा मुजफ्फरनगर शहर से करीब 25 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। मैनपुरी लोकसभा की सीट सपा संस्‍थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के चलते खाली हुई।

रामपुर विधानसभा की सीट हेट स्‍पीच मामले में आजम खान को सजा होने के बाद उनकी सदस्‍यता जाने के चलते और खतौली की सीट इस वजह से खाली हुई कि जिला अदालत ने 2013 के दंगों के एक मामले में बीजेपी के विधायक विक्रम सिंह सैनी को दोषी करार दिया था। उन्हें दो साल कैद की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद आजम की तरह उनकी भी सदस्‍यता चली गई और खतौली में उपचुनाव कराना पड़ा। बीजेपी ने इस बार विक्रम सिंह सैनी की पत्‍नी राजकुमारी सैनी को टिकट दिया तो सपा-रालोद गठबंधन ने चार बार के विधायक मदन भैया को उतार दिया। मदन भैया ने अपना पिछला चुनाव करीब 15 साल पहले जीता था। 2012, 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों में गाजियाबाद के लोनी से उन्हें लगातार हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में मदन भैया को आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद का भी समर्थन हासिल था। चंद्रशेखर ने सक्रिय रूप से उनके लिए प्रचार भी किया। 

रामपुर में आसिम रजा को बढ़त 

सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान के अयोग्य ठहराए जाने के कारण खाली हुई उत्तर प्रदेश की रामपुर सदर सीट पर कड़ा मुकाबला देखने को मिला। मतगणना में अभी आजम के करीबी और सपा उम्‍मीदवार आसिम रजा बढ़त बनाए हुए हैं। इस साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में हार और जून के उपचुनावों में आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीटें भाजपा से हारने के बाद इस चुनाव में जीत या हार अखिलेश यादव और सपा के लिए बहुत मायने रखती है। उधर, भाजपा उम्‍मीदवार आकाश सक्‍सेना ने भी इस बार बड़ी मेहनत की है। बीजेपी अभी भी लगातार रामपुर जीतने का दावा कर रही है।

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