राजद-जदयू-कांग्रेस के नेता-कार्यकर्ताओं की खुल सकती है किस्मत

 बिहार में जदयू कांग्रेस राजद हम और वाम दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं की खुल सकती है किस्‍मत अब निगम बोर्ड और आयोग की खाली कुर्सियों पर निगाहें करीब तीन दर्जन बोर्ड आयोग और निगम खाली कांग्रेस और हम को भी जगह मिलने की उम्मीद

 बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्‍व में महागठबंधन की नई सरकार ने कमान संभाल ली है। नीतीश-तेजस्वी को जोड़कर 33 मंत्रियों वाले कैबिनेट का गठन भी हो गया। इनमें दर्जन भर चेहरे पहली बार मंत्री बनाए गए हैं। विधायकाें के बाद अब महागठबंधन के दलों के नेता-कार्यकर्ता कुर्सी की उम्मीद बांधे हैं। राज्य में पिछले छह से सात वर्षों से करीब तीन दर्जन बोर्ड, आयोग और निगम खाली पड़े हैं।इनमें राज्य महिला आयोग, महादलित विकास मिशन, मानवाधिकार आयोग, बाल अधिकार संरक्षण आयोग, भोजपुरी अकादमी आदि शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, महागठबंधन की सरकार जल्द ही अब आयोग, बोर्ड और निगम के खाली पदों को भरने की कवायद शुरू कर सकती है। ऐसे नेता जिन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पाई है, उन्हें या उनके समर्थकों को बोर्ड और आयोग में जगह देकर संतुष्ट करने की कोशिश की जा सकती है।महागठबंधन की सरकार में शामिल जदयू व राजद के साथ कांग्रेस और हम के नेता भी इन बोर्ड और आयोग की खाली कुर्सियों से उम्मीद लगाए बैठे हैं। इन दलों की हिस्सेदारी कितनी होगी, यह अभी तय नहीं है। मगर उम्मीद लगाई जा रही है कि करीब 80 प्रतिशत तक हिस्सेदारी जदयू-राजद के नेता-कार्यकर्ताओं को मिलेगी। बाकी 20 प्रतिशत हिस्सेदारी ही महागठबंधन के अन्य दलों को मिल पाएगी। एनडीए सरकार के समय भी कांग्रेस की ओर से लगातार बोर्ड और आयोग की खाली कुर्सियों को लेकर सरकार से सवाल पूछे गए थे।

कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी का कहना है कि लगभग ठप पड़े बोर्ड, निगम और आयोग को फिर से सक्रिय कराना हमारी प्राथमिकता होगी। इसके अलावा बीस सूत्री के जरिए प्रखंड स्तर के कार्यकर्ताओं को जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।

बीस सूत्री के जरिए सेट होंगे एक हजार कार्यकर्ता

बीस सूत्री के जरिए भी बड़ी संख्या में महागठबंधन के कार्यकर्ताओं को एडजस्ट करने की तैयारी है। वर्ष 2005 में जब पहली बार एनडीए की सरकार बनी थी तो उस वक्त बीस सूत्री का गठन किया गया था। इसमें प्रखंड, जिला और मुख्यालय स्तर पर बीस सूत्री का गठन हुआ था। मुख्यमंत्री खुद बीस सूत्री के अध्यक्ष होते हैं। वहीं राज्य स्तरीय कमेटी के उपाध्यक्ष को राज्यमंत्री का दर्जा दिया जाता है। जिला लेवल कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति के अध्यक्ष प्रभारी मंत्री होते हैं।पिछली दफे समिति में भाजपा और जदयू से एक-एक उपाध्यक्ष बनाए गए थे। इस बार राजद-जदयू कोटे से एक-एक उपाध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। जिला स्तरीय समिति में 25 सदस्य होते हैं। प्रखंड स्तर पर बनने वाली समिति में भी राजनीतिक कार्यकर्ता को ही अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की कुर्सी दी जाती है। ऐसे में अगर बीस सूत्री काे फिर से सक्रिय किया जाता है, तो महागठबंधन के दलों के एक हजार से अधिक कार्यकर्ताओं को सेट किया जा सकता है।

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