शरद यादव के निधन के बाद यह सवाल है कि उनकी राजनीतिक विरासत को अब कौन बढ़ाएगा आगे ,जानें..

जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव का गुरुवार रात निधन हो गया। उनके निधन के बाद यह सवाल पैदा हो गया है कि उनकी राजनीतिक विरासत को अब कौन आगे बढ़ाएगा। आइए इस सवाल का जवाब जानते हैं…

जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का गुरुवार को गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया। उनकी बेटी सुभाषिनी शरद यादव ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा- पापा नहीं रहे।

सात बार चुने गए लोकसभा सदस्य

बता दें, शरद यादव 75 साल के थे। वे 7 बार लोकसभा सदस्य चुने गए। उन्होंने केंद्रीय मंत्री के तौर पर भी काम किया। उनके पास जयप्रकाश नारायण, चौधरी चरण सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी के साथ काम करने का अनुभव था। वे डाक्टर राम मनोहर लोहिया से काफी प्रभावित थे।

कांग्रेस पार्टी से जुड़ी हुई हैं सुभाषिनी यादव

शरद यादव की दो संतान हैं। बेटा शांतनु और बेटी सुभाषिनी। इनमें से सुभाषिनी ही उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। सुभाषिनी कांग्रेस पार्टी से जुड़ी हुई हैं। उन्हें मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में भी देखा गया था।

सुभाषिनी ने 2020 में ज्वाइन की कांग्रेस 

सुभाषिनी ने 2020 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की। उन्होंने बिहारीगंज सीट से विधानसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गईं। उनके पिता शरद यादव चाहते थे कि मधेपुरा से उनके परिवार का कोई सदस्य चुनाव लड़े। सुभाषिनी को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का करीबी माना जाता है। उनकी शादी हरियाणा में एक राजनीतिक परिवार में हुई है।

शरद यादव पहली बार जबलपुर से बने सांसद

शरद यादव तीन राज्यों से सात बार लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। वे बिहार की मधेपुरा सीट से चार बार, मध्य प्रदेश के जबलपुर से दो बार और उत्तर प्रदेश के बदायू से एक बार लोकसभा पहुंचे। शरद यादव सबसे पहले 1974 में जबलपुर से लोकसभा सांसद चुने गए थे।

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