अरब देशो में जबरन लोगों से मजदूरी और शादी के लिए करते है मजबूर

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि दुनिया का कोई भी क्षेत्र जबरन मजदूरी से अछूता नहीं है। वैश्विक कुल में से आधे से अधिक 15.1 मिलियन मजदूर एशिया और प्रशांत देशों से हैं।

 अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने जबरन मजदूरी कराए जाने को लेकर वैश्विक स्तर पर अपने आंकड़े जारी किए हैं। अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा है कि हर रोज लगभग 5 करोड़ (50 मिलियन) लोग अपनी मर्जी के खिलाफ काम करने व शादी के लिए मजबूर हैं। यह रिपोर्ट 2021 के वैश्विक अनुमानों के आधार पर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन लोगों को उनकी इच्छा के विरुद्ध काम करने के लिए मजबूर किया गया है। साथ ही कहा कि जबरन शादी को लेकर बड़ी संख्या में महिलाएं आधुनिक गुलामी में फंस गईं हैं।

रिपोर्ट में सामने आए आंकड़े बेहद चौकाने वाले हैं। वैश्विक स्तर पर 2.7 करोड़ (27.6 मिलियन) लोग जबरन मजदूरी के पेशे में हैं। 2.2 करोड़ (22 मिलियन) लोग (महिलाएं और लड़कियां) जबरन शादी में फंस गई हैं। वैकल्पिक रूप से 1.1 करोड़ (11.8 मिलियन) महिलाओं और लड़कियों से उनकी इच्छा के विरुद्ध काम कराया जा रहा है। इनमें 2.7 करोड़ (27 मिलियन) में से 33 लाख बच्चे भी हैं।

अफ्रीका में 3.8 मिलियन लोग जबरन मजदूरी और शादी के लिए मजबूर

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि दुनिया का कोई भी क्षेत्र जबरन मजदूरी से अछूता नहीं है। वैश्विक कुल में से आधे से अधिक 15.1 मिलियन मजदूर एशिया और प्रशांत देशों से हैं। इसके बाद यूरोप और मध्य एशिया (4.1 मिलियन), अफ्रीका (3.8 मिलियन), अमेरिका (3.6 मिलियन) और अरब राज्य (0.9 मिलियन) हैं। वैश्विक स्तर पर करीब हर रोज पांच करोड़ (50 मिलियन) लोग जबरन मजदूरी या जबरन शादी करने को मजबूर हैं।

अरब देशों में है सबसे अधिक आंकड़ा

हालांकि, जब जनसंख्या अनुपात की बात आती है, तो यह आंकड़ा अरब देशों में सबसे अधिक (5.3 प्रति हजार लोग) है। इसके बाद यूरोप और मध्य एशिया द्वारा (4.4 प्रति हजार) है। अमेरिका और एशिया और प्रशांत में वैश्विक औसत पर यह आंकड़ा 3.5 प्रति हजार पर समान है। जबकि अफ्रीका में यह आंकड़ा 2.9 प्रति हजार है।चिंता की बात यह भी है कि इनमें से 86 प्रतिशत मामले निजी अर्थव्यवस्थाओं में लगाए गए हैं। जब जनसंख्या को ध्यान में रखा जाता है, तो कम आय वाले देशों (6.3 प्रति हजार लोगों) में जबरन श्रम सबसे अधिक होता है। इसके बाद उच्च आय वाले देशों (4.4 प्रति हजार) का स्थान आता है।

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