कानून बनाने का आदेश, संसद को नहीं दे सकता कोर्ट 

केकेपी न्यूज़ ब्यूरो: सुप्रीमकोर्ट ने सभी धर्मों के धर्मार्थ ट्रस्ट और धार्मिक संस्थाओं के लिए एक समान कानून(समान धर्मस्थल संहिता) बनाने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इंकार करते हुए कहा है कि चाहे हाईकोर्ट हो या सुप्रीमकोर्ट, संसद को कानून बनने का आदेश नहीं दे सकता | जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकान्त की पीठ ने अधिवक्ता अश्वनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई से इंकार करते हुए कहा कि याचिका में समान कानून बनाने का आदेश माँगा गया है | लेकिन कानून बनाना संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है | कोर्ट संसद को कानून बनाने का आदेश नहीं दे सकता | कोर्ट ने अधिवक्ता अश्वनी कुमार उपाध्याय से कहा कि आप विधायिका में हस्तक्षेप चाहते हैं | इस पर अधिवक्ता ने कहा कि याचिका में उनकी वैकल्पिक मांग है | इसके अलावा याचिका में वक्फ़ कानून के प्राविधानों को भी चुनौती दी गयी है | इस पर कोर्ट ने कहा कि आप बताएं कि आप इस कानून से कैसे प्रभावित हुए हैं | क्या आपकी संपत्ति इससे प्रभावित हुई है तो अधिवक्ता ने दावा किया कि यह एक जनहित याचिका है | इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जनहित याचिका कुपोषण आदि के बारे में हो सकती है | कानून को चुनौती देने के मामले में नहीं |

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