यूपी: भाजपा में हारे उम्मीदवारों ने बंद लिफाफे में सबूत समेत बताई वजह

उत्तर प्रदेश में भाजपा की हार पर रार जारी है। हारे उम्मीदवारों ने विधायकों और कार्यकर्ताओं पर ठीकरा फोड़ा है। प्रदेश भाजपा संगठन ने हार की समीक्षा शुरू कर दी है। अवध क्षेत्र के हारे उम्मीदवारों के साथ पहली बैठक हुई।

लोकसभा चुनाव में भाजपा के हारे हुए प्रत्याशियों ने अब खुद के खिलाफ विरोधी लहर होने की वजह से हुई हार का ठीकरा विधायकों और कार्यकर्ताओं पर फोड़ना शुरू कर दिया है। वहीं, पार्टी के प्रदेश संगठन ने क्षेत्रवार भाजपा की हार की समीक्षा शुरू कर दी है।

इसी कड़ी में बृहस्पतिवार को अवध क्षेत्र के हारे हुए प्रत्याशियों को बुलाकर हार के कारणों की जानकारी जुटाई गई। अधिकांश प्रत्याशियों ने संसदीय क्षेत्र के विधायकों और पार्टी कार्यकर्ताओं पर भितरघात करने के साथ ही विपक्ष के आरक्षण खत्म करने और संविधान बदलने के मुद्दे को भी हार की वजह बताई है।

प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह ने अवध क्षेत्र की एक-एक सीट पर हार की समीक्षा की। इसमें से बाराबंकी की प्रत्याशी रही राजरानी रावत नहीं पहुंची थी, जबकि श्रावस्ती, सीतापुर, खीरी, लखीमपुर, रायबरेली, फैजाबाद, अंबेडकरनगर, मोहनलालगंज से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी मुख्यालय पहुंचे थे।

बता दें कि इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा 29 सीटें हार गई, इनमें मौजूदा 26 सांसद शामिल हैं। चुनाव परिणाम आने के बाद हारे हुए उम्मीदवारों ने प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से अपने ही लोगों के भितरघात करने की शिकायत की थी। इस पर इन लोगों से लिखित शिकायत मांगी गई थी।

सूत्रों का कहना है कि प्रदेश मुख्यालय पहुंचे कुछ उम्मीदवारों ने बंद लिफाफे में सबूत समेत हार की वजहें बताई हैं। कई उम्मीदवारों ने यह भी बताया है विपक्ष द्वारा प्रचारित किए गए आरक्षण खत्म करने और संविधान बदलने के मुद्दे से नाराज दलित के साथ ही भाजपा को कोर वोटर रहे गैर यादव पिछड़ी जातियों ने भी भाजपा को वोट नहीं दिया। खास तौर कुर्मी, राजभर, शाक्य, पासी और मौर्या जैसी भाजपा समर्थक जातियों ने इस चुनाव में दूरी बना ली थी।

वोटर निकालने में कार्यकर्ता नहीं जुटे
कई उम्मीदवारों ने अपनी हार की ठीकरा स्थानीय कार्यकर्ताओं पर भी फोड़ा। उनका कहना था, पन्ना प्रमुख और बूथ कमेटियों ने उस तरह से काम नहीं किया। सिर्फ कागजों पर ही कार्यक्रम चलाए गए। जिनके कंधों पर मतदाताओं को बूथ तक पहुंचाने की जिम्मेदारी थी, वह खुद नहीं निकले। उधर, इसी कड़ी में शुक्रवार को कानपुर क्षेत्र के हारे हुए उम्मीदवारों के साथ बैठक होगी ।

Leave a Reply

Your email address will not be published.