आटा सप्‍लाई में जीएसटी का पेंच फंसा ,इसे दूर करने के लिए भगंवत सरकार क्या करेंगे जानिए

पंजाब में आटा सप्‍लाई में जीएसटी का पेंच फंस गया है। अब इसे दूर करने के लिए भगंवत मान सरकार ने कानूनी सलाह मांगी है। बता दें कि पंजाब में घर – घर राशन योजना के तहत आटा सप्‍लाई की जानी है।

 पंजाब में घर-घर राशन योजना के तहत आटा सप्‍लाई में जीएसटी का पेंच फंस गया है। इस मामले में राज्‍य की भगवंत मान सरकार कानूनी सलाह ले रही है कि योजना के तहत सप्‍लाई किए जाने वाले आटे पर भी जीएसटी लगेगा या नहीं।

पंजाब सरकार आटा लेने के लिए लाभार्थियों को करेगी प्रोत्साहित

दरअसल पंजाब सरकार द्वारा एक अक्टूबर से शुरू की जा रही घर-घर राशन स्‍कीम के तहत खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की लाभार्थियों को गेहूं की जगह आटा लेने को प्रोत्साहित करने की योजना है। यह योजना अब पोर्टल के माध्यम से चलेगी और गेहूं लेने के इच्छुक लाभार्थियों को पोर्टल पर यह जानकारी देनी होगी कि वह आटा नहीं बल्कि गेहूं लेना चाहता है।

आटा पर लगेगा पांच फीसदी जीएसटी

अब आटा सप्लाई को लेकर एक नया पेंच भी फंस गया है। पंजाब सरकार एक परिवार को 25 किलो के पैकेट में आटा सप्लाई करेगी और हाल ही में जीएसटी काउंसिल ने आटे पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगा दिया है। ऐसे में सरकार कानूनी राय ले रही है कि क्या उन्हें भी जीएसटी देना पड़ेगा। पंजाब सरकार इसलिए कानूनी राय ले रही है क्योंकि केंद्र सरकार के सहयोग से चलाई जाने वाली यह योजना गरीब लोगों के लिए है, तो ऐसे में क्या आटे के पैकेट पर जीएसटी लगेगा।

गेहूं लेने वालों को विभाग के पोर्टल पर देनी होगी जानकारी

उल्लेखनीय है कि राज्य में आटा-दाल योजना का लाभ पाने वाले लाभार्थियों की संख्या 1.53 करोड़ है। अब तक पंजाब सरकार छह महीने का आटा व दाल एक साथ वितरित करती थी। आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद सरकार ने गेहूं के स्थान पर आटा पिसवा कर देने का फैसला किया है। जो हर महीने लाभार्थियों तक उनके घर पर पहुंचाया जाएगा।इस योजना को लेकर अनुमानित 683 करोड़ रुपये खर्च होंगे। हालांकि सरकार का दावा है कि इससे लोगों के पिसाई पर आने वाले 170 करोड़ रुपये का खर्च बचेगा। वहीं सरकार की उलझन जीएसटी को लेकर है। बताया जा रहा है कि अगर आटे पर सरकार को जीएसटी देना पड़ा तो इससे सरकार पर 100 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ आ सकता है।

घर-घर राशन योजना को लेकर सरकार का एक और उद्देश्य भी है कि योजना का लाभ केवल जरूरतमंद लोगों को ही मिले। दरअसल जब से इस योजना को शुरू किया गया है यह विवादों में घिरी रही है। योजना का लाभ गरीब ही नहीं बल्कि संपन्न लोग भी उठा रहे हैं। यही कारण है कि तीन करोड़ की आबादी वाले राज्य में 1.53 करोड़ लोग आटा-दाल योजना के तहत पंजीकृत हैं।

पिछले दिनों मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी इस बात के संकेत दिए थे कि जब घर-घर राशन की सप्लाई होगी तो यह भी पता चल जाएगा की राशन किसके घर जा रहा है। पंजाब सरकार ने ऐसी योजना तैयार की है कि आटा न लेकर गेहूं लेने के इच्छुक व्यक्ति को विभाग के पोर्टल पर जाकर जानकारी देनी होगी।आटे की सप्लाई तो होगी ही, इसमें कोई संशय नहीं है। कानूनी राय इसलिए ली जा रही है कि क्या सरकार की योजना पर भी जीएसटी दिया जाना है या नहीं।

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