जनता के नाराजगी के बाद IRCTC ने यात्रियों के डाटा बेचने योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया

डाटा मुद्रीकरण योजना पर कोई और निर्णय लेने से पहले रेल मंत्रालय अब नए डेटा संरक्षण विधेयक की प्रतीक्षा कर सकता है। पिछले हफ्ते भारतीय रेलवे की टिकट-बुकिंग सहयोगी आईआरसीटीसी ने सरकारी और निजी कंपनियों के साथ व्यापार करने के लिए सलाहकार की सेवाएं मांगी थीं।

 आम जनता की बढ़ती नाराजगी के बाद आईआरसीटीसी ने यात्रियों के डाटा मोनेटाइजेशन की अपनी विवादास्पद योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। यात्री डाटा मुद्रीकरण योजना को लेकर एक संसदीय पैनल द्वारा तलब किए जाने के बाद भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम ने 1,000 करोड़ रुपये की इस योजना की रणनीति बनाने के लिए एक सलाहकार को नियुक्त करने का विचार भी त्याग दिया है।कंपनी द्वारा की गई एक एक्सचेंज फाइलिंग के अनुसार, भारत सरकार द्वारा व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक को वापस लेने के कारण सलाहकार की नियुक्ति का टेंडर वापस ले लिया गया है। हालांकि आईआरसीटीसी ने इस फैसले के पीछे आम लोगों की नाराजगी एक बड़ी वजह माना जा रहा है। बात दें कि संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति ने संभावित डाटा गोपनीयता उल्लंघन की चिंताओं को दूर करने के लिए शुक्रवार शाम आईआरसीटीसी के अधिकारियों को तलब किया था। मीडिया रिपोर्टस से अनुसार, IRCTC ने संसदीय पैनल को सूचित किया कि उसने अपने रुख की समीक्षा की है और टेंडर को वापस ले लिया है।

आगे क्या करेगा आईआरसीटीसी

फिलहाल, यह साफ नहीं है कि क्या आईआरसीटीसी डाटा संरक्षण विधेयक  लागू होने के बाद इस दिशा में आगे बढ़ सकता है या यह प्रस्ताव हमेशा के लिए रद किया जा चुका है। बता दें कि व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक को एक संयुक्त संसदीय द्वारा मसौदे में 81 संशोधनों के सुझाव के बाद वापस ले लिया गया था।

पिछले हफ्ते भारतीय रेलवे  की टिकट-बुकिंग सहयोगी आईआरसीटीसी ने सरकारी और निजी कंपनियों के साथ व्यापार करने के लिए एक सलाहकार की सेवाएं मांगी थीं। आईआरसीटीसी की पहुंच 80 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ताओं के निजी डाटा तक है। कंपनी को उम्मीद थी कि ग्राहक और विक्रेता एप्लिकेशन डाटा के मोनेटाइजेशन से उसे 1000 करोड़ रुपये का फायदा हो सकता है। आईआरसीटीसी के इस फैसले के बाद लोगों में व्यापक रोष था। सोशल मीडिया में इस फैसले की बहुत आलोचना हुई थी। नाम, आयु, मोबाइल नंबर, लिंग, पता, ई-मेल आईडी, नंबर जैसे संवेदनशील डाटा के अलावा यात्रियों की संख्या, यात्रा की श्रेणी, पेमेंट का तरीका, लॉगिन आईडी और पासवर्ड की सुरक्षा को लेकर लोग परेशान हो उठे थे।

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