जानें कोजागरी पूजा का शुभ मुहूर्त और इसके महत्व

शरद पूर्णिमा के दिन बिहार पश्चिम बंगाल असम जैसे राज्यों में कोजागरी पूजा को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती और रात को जागरण कर माता को प्रसन्न किया जाता है।

कोजागरी पूजा को हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। हर वर्ष अश्विन मास के पूर्णिमा तिथि के दिन माता लक्ष्मी को समर्पित विशेष पूजा-पाठ किया जाता है। बिहार, असम, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। बिहार में खासकर मैथिल बहुल क्षेत्रों में इसे ‘कोजगरा पूजा’ के नाम से जाना जाता है। इस दिन देशभर में शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2022) पर्व मनाया जाता है। इस दिन विशेष पूजा-अनुष्ठान किए हैं और मध्य रात्रि में जागरण किया जाता है। आइए जानते हैं कोजागरी पूजा का महत्व, शुभ मुहूर्त और व्रत विधि।

कोजागरी पूजा शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 19 अक्टूबर शाम 07:00 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 20 अक्टूबर रात 08:20 बजे तक

कोजागरी पूजा तिथि- 19 अक्टूबर 2022

कोजागरी व्रत विधि

शास्त्रों के अनुसार अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन प्रातः स्नान करके व्रत का संकल्प लें। इस दिन पीतल, तांबे, चांदी, सोने जैसी धातु से बनी देवी लक्ष्मी की मूर्ति को नए वस्त्र में लपेटकर पूजा करें। इसके बाद रात्रि में चंद्रोदय के समय घी का दीपक जलाएं और चंद्र दर्शन करें। इस दूध से बनी खीर को चांद की रोशनी के नीचे रखने को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। कुछ समय बाद वह खीर माता लक्ष्मी को अर्पित करें और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। माना जाता है कि इस दिन चांद की किरणों में अमृत के गुण आ जाते हैं। यही कारण है कि शास्त्रों में भी इस दिन खीर बनाने और उसे चांद की रोशनी में रखने को इतना महत्व दिया गया है।

कोजागरी पूजा महत्व

शास्त्रों के अनुसार कोजागरी पूजा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से और रात को जागरण करने से भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन विधिवत अनुष्ठान करने से सुख, समृद्धि, धन और भाग्य का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही यह मान्यता भी प्रचलित है कि जो व्यक्ति चांद की रौशनी में रखे गए खीर को ग्रहण करता है उसके भी दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.