भारत का पहला एस्ट्रो पार्क हल्द्वानी में विकसित किया जाएगा..

भारत का पहला एस्ट्रो पार्क हल्द्वानी में विकसित किया जाएगा। इसे एरीज के अधीन संचालित किया जाएगा। विज्ञान व प्रोद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार की परियोजना की लागत 100 करोड़ रुपये है। परियोजना को साकार रूप देने के लिए एरीज के निदेशक प्रो. दीपांकर बनर्जी जुटे हुए हैं।

अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े तमाम रहस्यों की जानकारी हल्द्वानी में मिल सकेगी। इसके लिए शहर में भारत का पहला एस्ट्रो पार्क विकसित किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट को राज्य सरकार की अनुमति मिल चुकी है। इस पार्क के बनने पर कुमाऊं के सबसे बड़े शहर हल्द्वानी को विश्व पटल पर नई पहचान भी मिल जाएगी।

आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एरीज) मनोरा पीक भीमताल में स्थित है। यहां पर देश की सबसे बड़ी दूरबीन भी स्थित है। एरीज के ही अधीन अब हल्द्वानी में एस्ट्रो पार्क विकसित करने की तैयारी चल रही है। विज्ञान व प्रोद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार की इस परियोजना की लागत 100 करोड़ रुपये है।

अब तक ऐसा पार्क भारत में कहीं और विकसित नहीं हुआ है। इसके लिए जिला प्रशासन की मदद से भूमि चिन्हित करने काम चल रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही 15 एकड़ की भूमि चयनित कर ली जाएगी। इस परियोजना को साकार रूप देने के लिए एरीज के निदेशक प्रो. दीपांकर बनर्जी जुटे हुए हैं।

डाटा सेंटर भी हाेगा तैयार

एरीज में टेलीस्कोप है। वहां के डाटा को इसी पार्क में प्रोसेस कर रिजल्ट तैयार किया जाएगा। यह भी अध्ययनकर्ताओ और विज्ञानियों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। एस्ट्रो पार्क के नोडल अधिकारी डा. अमित जोशी ने बताया कि हल्द्वानी में एस्ट्रो पार्क बनाने की तैयारी जोरशोर से चल रही है।इसके लिए जल्द भूमि भी चिन्हित कर ली जाएगी। यह भारत का पहला एस्ट्रो पार्क होगा, जहां ब्रह्मांड की रहस्यों की हर तरह की जानकारी मिलेगी।

राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि

उत्तराखंड राज्य विज्ञान व प्रोद्योगिकी परिषद के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने बताया कि सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देशन में एस्ट्रो पार्क हल्द्वानी में बन रहा है। यह हल्द्वानी ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए मील का पत्थर साबित होगा। राज्य में विज्ञान व प्रोद्योगिकी से जुड़े पार्क की स्थापना होना अभूतपूर्व काम है।

ये रहेगा एस्ट्रो पार्क का आकर्षण

एस्ट्रो पार्क में ब्रह्मांड में चलने वाली हर तरह की गतिविधियों का प्रदर्शन किया जाएगा। इसे देखने के लिए केवल हल्द्वानी व कुमाऊं ही नहीं, बल्कि देश व दुनिया के छात्र-छात्राएं, शोधार्थी और विज्ञानी भी पहुचेंगे। इस पार्क में खगोल विज्ञानियों की टीम भी रहेगी।

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