राम मंदिर निर्माण के संघर्ष का सच दिखाती है ‘द बैटल ऑफ अयोध्या’…

अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बन चुका है। बालक राघव उसमें विराजे हैं। 22 जनवरी को रामलला प्राण प्रतिष्ठा के भव्य आयोजन का साक्षी पूरा देश बना। रामलला की मनमोहक मूर्ति देख श्रद्धालु भाव-विभोर हैं और जश्न अभी तक चल रहा है। मगर, भगवान श्रीराम के इस मंदिर निर्माण के पीछे संघर्ष का एक लंबा इतिहास रहा है। 500 वर्षों की प्रतीक्षा, कारसेवकों पर गोलियां और राजनीति और न जाने कितनी ही पहलू अतीत में हैं। अगर आप इनसे रूबरू होना चाहते हैं तो डॉक्यू सीरीज ‘द बैटल ऑफ अयोध्या’ जरूर देखें। कुशाल श्रीवास्तव के निर्देशन में बनी ये सीरीज रिलीज हो चुकी है।

सीरीज ‘द बैटल ऑफ अयोध्या’ को यूट्यूब चैनल वेदशाला पर रिलीज किया गया है। इसका निर्देशन वायु सेना अधिकारी से फिल्म निर्माता बने कुशाल श्रीवास्तव ने किया है। राम मंदिर उद्घाटन के बाद अब पांच एपिसोड वाली ये सीरीज दर्शकों के सामने है। सीरीज राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद के पीछे के अनकहे सच को उजागर करती है। ये सीरीज अनसुनी कहानियों पर प्रकाश डालती है। इसे फ्लाइंग ड्रीम्स एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले बनाया गया है।

कुशाल श्रीवास्तव इस डॉक्यू सीरीज के निर्देशन से पहले केके मेनन अभिनीत ‘वोदका डायरीज’, कल्कि केकलां की ‘द जॉब’ और श्रेयस तलपड़े की ‘स्पीड डायल’ जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं। उनकी यह नई सीरीज अयोध्या में 500 सालों तक चले संघर्ष को दिखाती है। मंदिर आंदोलन भारत की न्याय व्यवस्था, राजनीति, संस्कृति और सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने को किस तरह चुनौती दी और साथ ही यह भारतीयों और रामभक्तों की रुह को किस कदर जोड़े हुए है, यह भी इसमें देखा जा सकता है।

इस सीरीज को लेकर कुशाल का कहना है, ‘व्यापक शोध पहले कभी न देखे गए अभिलेखों और प्रमुख हस्तियों के प्रत्यक्ष अनुभवों से प्रेरित होकर यह डॉक्यू-सीरीज अयोध्या राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के संघर्ष में गहराई से उतरती है। यह हर भारतीय की आत्मा के साथ गहराई से जुड़ती है और राष्ट्र के इतिहास के एक निर्णायक अध्याय के पन्ने खोलती है’।

इस सडॉक्यू-सीरीज में रविशंकर प्रसाद (पूर्व केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री), राहुल श्रीवास्तव (पत्रकार और टिप्पणीकार), विनय कटियार (बजरंग दल के संस्थापक), रंजना अग्निहोत्री (वरिष्ठ अधिवक्ता), इकबाल अंसारी (मामले में मुख्य वादी), आचार्य सत्येंद्र दास (राम मंदिर के मुख्य पुजारी), केके मुहम्मद (पुरातत्वविद्) और कई अन्य चर्चित हस्तियों के साक्ष्य शामिल हैं। सरित अग्रवाल और कुशाल श्रीवास्तव द्वारा निर्मित इस डॉक्यूमेंट्री की शूटिंग अयोध्या, लखनऊ, दिल्ली और मुंबई में की गई है।

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