रेटिना की बीमारियों से पीड़ित बुजुर्गों करे ये उपाए

रेटिना संबंधी रोग से न केवल कष्ट होता है बल्कि इसके चलते एक बुजुर्ग व्यक्ति का जीवन पूरी तरह निष्क्रिय हो जा सकता है। इसलिए आंखों की रोशनी के नुकसान को कम करने के लिए शुरूआती चरण में सही देखभाल और सहयोग बेहद जरूरी है।

बुढ़ापे में आंखों की समस्या बहुत ही आम बात है। हालांकि, पूरी दुनिया में 50 साल से अधिक उम्र के लोगों का अनुपात 20% से भी कम है और उनमें से 80% से ज्यादा लोग अंधेपन के साथ अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। जागरूकता की कमी और किसी प्रकार का उपचार नहीं होने पर बुजुर्गों को रेटिना संबंधी बीमारियों की वजह से डिप्रेशन और एंजाइटी का खतरा ज्यादा होता है। रेटिना संबंधी रोग से न केवल कष्ट होता है, बल्कि इसके चलते एक बुजुर्ग व्यक्ति का जीवन पूरी तरह निष्क्रिय हो जा सकता है। इसलिए, आंखों की रोशनी के नुकसान को कम करने के लिए शुरूआती चरण में सही देखभाल और सहयोग बेहद जरूरी है।

उम्र बढ़ने के साथ आंखों से जुड़ी आम समस्याएं :

प्रो. (डॉ.) महिपाल एस. सचदेव, अध्यक्ष, मेडिकल डायरेक्टर एवं सीनियर कंसल्टेंट ऑप्थेमोलॉजी का कहना है, “रेटिना संबंधी बीमारियों की वजह से आंखों की रोशनी को होने वाले नुकसान का खतरा बढ़ता जा रहा है। बुजुर्गों को प्रभावित करने वाली रेटिना संबंधी बीमारियों में शामिल है, कैटेरेक्ट, डायबिटिक रेटिनोपैथी (डीआर), हाइपरटेंसिव रेटिनोपैथी और उम्र संबंधी मैक्यूलर डिजेनरेशन (एआरएमडी)। डायबिटीज रोगियों में डायबिटिक रेटिनोपैथी 15-17% है। एआरएमडी की वजह से मैक्यूलर (केंद्रीय दृष्टि) को होने वाले नुकसान को ठीक नहीं जा सकता, जिसके कई सारे कारण हैं। सबसे महत्वपूर्ण चीज है उम्र और धूम्रपान। इसकी व्यापकता 0.3%-39% है

उम्र बढ़ने पर सही दृष्टि के लिए सुझाव

बुजुर्गों में आंख की रोशनी के कम होने को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह उम्र बढ़ने का अपरिहार्य प्रभाव है। इसे जागरूकता, उपचार और उसके पालन से सही रूप में प्रबंधित किया जा सकता है। बुजुर्गों में आंखों की बेहतर रोशनी सुनिश्चित करने के लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं।

आंखों की जांच को टालें नहीं

अपने आंखों की जांच के लिए किसी ऑप्टोमेट्रिस्ट या नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास नियमित रूप से जाना जरूरी है। समय रहते समस्या का पता लगने से न केवल दृष्टि हानि को होने से रोका जा सकता है, बल्कि इससे आंखों की रोशनी जाने से रोकने में भी मदद मिलेगी। इससे संक्रमण को रोका जा सकता है, साथ ही साथ शुरूआती चरणों में बढ़ते रोगों का भी पता लगाया जा सकता है।

सुझाए गए उपचार का पालन करना

एक विशेषज्ञ यह निर्धारित करता है कि आपको सूखी आँखों, अवरुद्ध अश्रु नली (टीअर डक्ट) या एएमडी और डीएमई जैसे तेजी से बढ़ते रोगों को इलाज की आवश्यकता है या नहीं। एएमडी को दवाओं और लेजर थैरेपी से प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है और रोगी हर दिन आँखों की कम रोशनी के लिये जरूरी उपकरण का उपयोग कर सकते हैं।

अपने ब्लड प्रेशर, ग्लूकोज का स्तर और कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच करें

उच्च ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल, हृदयधमनी स्वास्थ्य तक सीमित समस्याएं प्रतीत हो सकती हैं। हालांकि, यदि इसकी जांच नहीं कराई जाए तो ये आंखों सहित हमारे बाकी अंगों को क्षतिग्रस्त कर सकता है। डायबिटीज एक मूक अपराधी की तरह है जो बुजुर्गों में रेटिनी संबंधी गंभीर क्षति का कारण बनता है। अपने ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ग्लूकोज के स्तर को सामान्य बनाए रखने से रेटिना की बेहतर सेहत सुनिश्चित होगी।

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