साइबर अपराधियों ने जेपी नड्डा और पूर्व कमिश्नर के नाम पर लाखों की ठगी की वारदात को अंजाम दिया..

राजधानी दिल्ली में साइबर अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। वो आए दिन बड़ी वारदात को अंजाम देते रहते हैं। ताजा मामले में साइबर अपराधियों ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर के नाम पर लाखों की ठगी की वारदात को अंजाम दिया है

सेक्सटॉर्शन के एक मामले में वसंत कुंज निवासी 75 वर्षीय महिला से साइबर क्रिमिनल ने 7.34 लाख रुपये की धोखाधड़ी की है, इस दौरान एक अपराधी ने खुद को दिल्ली का पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थानाबताया था।

साइबर स्कैमर्स ने जबरन वसूली के लिए कॉल करने के बाद अश्लील वीडियो चैट के तौर-तरीकों का इस्तेमाल करके केएन जोशी को फंसाया। जोशी ने दिल्ली पुलिस को दी अपनी शिकायत में कहा है कि 15 जनवरी को उन्हें एक महिला से ‘हैलो’ कहने वाला संदेश मिला, जिसने अपना परिचय अंजलि शर्मा बताया था। उसने फिर एक वीडियो कॉल के लिए कहा और नग्न दिखाई दिया और कुछ ही मिनटों में कॉल डिस्कनेक्ट हो गई।

जेपी नड्डा का ओएसडी बन ठगी करने वाले 2 शातिर गिरफ्तार

उधर, मध्य जिले की साइबर सेल थाना पुलिस ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का ओएसडी बताकर ठगी करने वाले दो जालसाजों को गिरफ्तार किया है। आरोपित भाजपा के कई नेताओं, अधिकारियों और कार्यकर्ताओं से एक करोड़ रुपये से अधिक की ठगी कर चुके हैं। गिरफ्तार आरोपितों की पहचान मयूर विहार फेस-तीन निवासी प्रवीण कुमार और लखनऊ के गोमती नगर निवासी पीयूष कुमार श्रीवास्तव के रूप में हुई है।

प्रवीण 12वीं तक पढ़ा लिखा है, जबकि पीयूष एमबीए कर चुका है। पीयूष फर्जी विजिटिंग कार्ड का इस्तेमाल कर खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष का ओएसडी बताता था। पुलिस ने इनके कब्जे से पुलिस ने लैपटाप, तीन मोबाइल फोन, चार सिम और ओएसडी के नाम के 55 फर्जी विजिटिंग कार्ड बरामद किए हैं। डीसीपी मध्य जिला संजय कुमार सेन के मुताबिक नौ मई को भाजपा मुख्यालय के पदाधिकारी की ओर से साइबर सेल में ठगी की शिकायत की गई।

क्या है मामला

शिकायत में बताया गया कि कुछ लोग खुद को भाजपा पदाधिकारी बताकर विभिन्न राज्यों में पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं, सरकारी अधिकारियों से धोखाधड़ी कर रहे हैं। आरोपित खुद को केंद्रीय कार्यालय से जुड़ा भाजपा पदाधिकारी बता रहे हैं। शिकायत में आरोपितों के बारे में कुछ साक्ष्य भी पुलिस को सौंपे गए। जिसपर प्रारंभिक जांच के बाद साइबर सेल ने मामला दर्ज कर लिया गया था।

पुलिस ने मोबाइल सेवा प्रदाताओं से काल रिकार्ड विवरण और नंबर के उपभोक्ता की जानकारी हासिल की। इससे पता चला कि प्रवीण कुमार मयूर विहार में रहता है, लेकिन उसके वास्तविक पते की जानकारी पुलिस को नहीं मिली। इसके बाद पुलिस ने आरोपित से मिलने के लिए एक योजना तैयार की। एक पुलिसकर्मी ठेकेदार बनकर संपर्क किया। आरोपित से ठेका दिलवाने में मदद करने के लिए कहा गया।

आरोपित मयूर विहार इलाके में मिलने के लिए राजी हो गया। इसके बाद एडिशनल डीसीपी हुक्मा राम की टीम ने आरोपित को गिरफ्तार कर लिया। प्रवीण ने पूछताछ में बताया कि वह इंटरनेट से नेताओं और पार्टी के पदाधिकारियों का विवरण लेता था। इसके बाद उत्तर-पूर्वी राज्यों के कई नेताओं के संपर्क में आया। खुद को केंद्रीय कार्यालय में पदाधिकारी बताकर उनके साथ घनिष्ठता कर ली। वह उनसे पार्टी फंड के नाम पर और कुछ महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों के लिए सिफारिश करने के नाम पर ठगता है। इसके एवज में उनसे होटल बुकिंग, हवाई यात्रा के टिकट और अन्य खर्चों के पैसे लेता था।

इन नेताओं को प्रभावित करने के लिए वह पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ जाने-माने नेताओं के साथ अपनी फोटो का इस्तेमाल करता था। इस तरह से आरोपित ने कई नेताओं, अधिकारी और ठेकेदार से लाखों रुपये ठग लिए। पुलिस ने एक अन्य मोबाइल नंबर के जरिए खुद को कारोबारी बात दूसरे जालसाज पीयूष कुमार श्रीवास्तव को लखनऊ से गिरफ्तार किया। पूछताछ में पता चला कि आरोपित भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का ओएसडी के नाम से विजिटिंग कार्ड बना रखा है। वह एक एनजीओ (भारतीय इनक्लूसिव डेवलपमेंट फाउंडेशन) चलाता है।

वह निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) का लाभ लेने के लिए गेल, सेल, ओएनजीसी, बीएचईएल, आइआरसीटीसी जैसी सरकारी कंपनियों के विभिन्न उच्चाधिकारियों को वाट्स एप के माध्यम से फर्जी विजिटिंग कार्ड की कापी भेजता था। इसके जरिए वह गेल से 45 लाख रुपये ले चुका था। दोनों आराेपित ठगी के पैसे को सट्टेबाजी और विलासितापूर्ण जीवन शैली में खर्च करते थे।

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